Bhagwan-Shri-Krishna-ke-vachan
Bhagwan Shri Krishna ke vachan
(1)
पत्रं पुष्पं फलं तोयं यो मे भक्त्या प्रयच्छति।
तदहं भक्त्युपहृतमश्नामि प्रयतात्मन:॥
(नवम अध्याय, श्लोक 26)
                      - श्री मद् भागवत गीता

हिंदी अनुवाद: जो कोई भक्त मेरे लिये प्रेम से पत्र (पत्ती), पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है, उस शुद्ध बुद्धि निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेमपूर्वक अर्पण किया हुआ वह पत्र-पुष्पादि मैं सगुण रूप से प्रकट होकर प्रीति सहित खाता हूँ।

English Translation: If one offers to Me with devotion a leaf, a flower, a fruit, or even water, I delightfully partake of that article offered with love by My devotee in pure consciousness.


(2)
यस्मान्नोद्विजते लोको लोकान्नोद्विजते च य: ।
हर्षामर्षभयोद्वेगैर्मुक्तो य: स च मे प्रिय:॥
(द्वादश अध्याय, श्लोक 15)
                     - श्री मद् भागवत गीता 


हिंदी अनुवाद: जिससे किसी को कष्ट नहीं पहुँचता तथा जो अन्य किसी के द्वारा विचलित नहीं होता, जो सुख-दुख में, भय तथा चिन्ता में समभाव रहता है, वह मुझे अत्यन्त प्रिय है।

English Translation: Those who are not a source of annoyance to anyone and who in turn are not agitated by anyone, who are equal in pleasure and pain, and free from fear and anxiety, such devotees of Mine are very dear to Me.