भागवत गीता-श्लोक ( Bhagwat Geeta shlok)

(1)
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)
              - श्री मद् भागवत गीता-हिंदी

अर्थ: हे भारत (अर्जुन), जब-जब धर्म की ग्लानि-हानि यानी उसका क्षय होता है और अधर्म में वृद्धि होती है, तब-तब मैं श्रीकृष्ण धर्म के अभ्युत्थान के लिए स्वयं की रचना करता हूं अर्थात अवतार लेता हूं।
युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं...             -In Hindi

Meaning: O Bharata (Arjuna), whenever religion is defiled or its decay and increase in unrighteousness, then I create myself for the upliftment of Shri Krishna religion, that is, I take incarnation.
I have been born in every age from ages to ages ...
                            - In English

(2)
परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 8)
              - श्री मद् भागवत गीता-हिंदी

अर्थ: सीधे साधे सरल पुरुषों के कल्याण के लिए और दुष्कर्मियों के विनाश के लिए...धर्म की स्थापना के लिए मैं (श्रीकृष्ण) युगों-युगों से प्रत्येक युग में जन्म लेता आया हूं।
                            - In Hindi

Meaning: For the welfare of straightforward men and for the destruction of evil people ... I (Shri Krishna) have been born in every age from ages to years for the establishment of religion.    
                             - In English

0 Comments